ज्योतिष विज्ञान के क्षेत्र में अपने शहर जोधपुर से विदेशों ( अमेरिका, इंग्लैंड, दुबई, सिंगापुर, कजाकिस्तान, थाईलैंड इत्यादि ) में अपना मान बढ़ाया श्री मान पंडित आनंद के व्यास ने मैंने ( पंडित आनंद के व्यास ) इंजीनियरिंग ( माइनिंग ) करने के दौरान ज्योतिष विज्ञान का ज्ञान मेरे परम पूज्य पिता जी स्व श्री सीताराम जी व्यास ( मास्टर साहब ) से प्राप्त किया। उन्होंने ने मुझे फलित ज्योतिष का बहुत सारे गुर सिखाए। रोजाना बहुत से जातक मेरे पिता जी के पास आ कर ज्योतिष विज्ञान से मार्ग दर्शन लेते थे। मैं भी साथ बैठ कर वो ज्ञान लेता था । मेरे पिता जी (मेरे गुरु) ने बहुत से ज्योतिष ग्रंथों का वर्णन दिया। जैमिनी सूत्र भृगु संहिता, लाल किताब आधुनिक ज्योतिष विज्ञान कृष्ण मूर्ति पद्धति आज के लेखक पंडित नेमीचंद नेमीचंद शास्त्री, ठाकुर ओंकारनाथ सिंह प्रोफेसर डाक्टर वी बी रमन इत्यादि।
मैंने बहुत से ज्योतिष ग्रंथों का जैसे दीर्घ पराशर, लघु पराशर, और पिता जी द्वारा वर्णित ग्रंथों का अध्ययन किया।
अभी भी में ज्योतिष ग्रंथों का अध्ययन करता रहता हूं व कुछ न कुछ सीखता रहता हूं मैंरे इंजीनियरिंग की शिक्षा लेने के कारण वास्तु शास्त्र का अध्ययन करना आसान व बहुत अच्छा लगा।
मैंने वास्तु शास्त्र के कई ग्रंथो का अध्ययन किया जैसे मय मथम समरागिसूत्रधार, राज वल्लभमणडनम प्रोफेसर वी वी रमण और भी कई ग्रंथो का अध्ययन किया। उस ज्ञान से भवन, फैक्ट्री, आफिस, मंदिर निर्माण में वास्तु शास्त्र के ज्ञान से मार्ग दर्शन किया।व करता रहता हूं